उठाओ लुत्फ़ हर पल, हर घड़ी के
हजारों रंग हैं इस ज़िंदगी के
हजारों रंग हैं इस ज़िंदगी के
खुशी कुछ कुछ कसैली लग रही है
नतीजा बेमज़ा है बंदगी के
नतीजा बेमज़ा है बंदगी के
तला दीये का देखो तो कहोगे
अंधेरे से है रिश्ते रोशनी के
अंधेरे से है रिश्ते रोशनी के
ये माना घाव गहरे हैं बदन पर
मगर क्या खूब स्वर हैं बांसुरी के
मगर क्या खूब स्वर हैं बांसुरी के
करो कुर्बान जां को इस वतन पर
तभी संतान होगे भारती के
तभी संतान होगे भारती के
पुरानी डायरी बतला रही है
हमारे दिन भी थे फ़ाकाकशी के
हमारे दिन भी थे फ़ाकाकशी के
कई परतें चढ़ाए सूरतें हैं
मगर दीवाने हैं हम सादगी के
मगर दीवाने हैं हम सादगी के
सियासत भ्रष्ट है जाने है सागर
रखे उम्मीदें लेकिन बेहतरी के
............. विमलेन्दु सागर
रखे उम्मीदें लेकिन बेहतरी के
............. विमलेन्दु सागर


