..........................................
आंधियों में शमा जल रही दोस्तों
ये ख़ुदा की है कारीगरी दोस्तों
आंधियों में शमा जल रही दोस्तों
ये ख़ुदा की है कारीगरी दोस्तों
इस क़दर हम जमीं को जलाने लगे
सूखने अब लगी है नदी दोस्तों
सूखने अब लगी है नदी दोस्तों
सच अकेला बहुत पड़ गया आजकल
जीत होने लगी झूठ की दोस्तों
जीत होने लगी झूठ की दोस्तों
कृष्ण राधा के हैं या वो मीरा के हैं
और मै.. रो रही रुक्मणी दोस्तों
और मै.. रो रही रुक्मणी दोस्तों
जो न रोजा रखे, इफ़्तारी करे
वोट की अहमियत है बड़ी दोस्तों
वोट की अहमियत है बड़ी दोस्तों
आज भी संस्कारों से लिपटी है वो
सच में है वो कोई बावली दोस्तों
सच में है वो कोई बावली दोस्तों
याद करने से पहले ही वो आ गई
बात है ये मगर ख़्वाब की दोस्तों
बात है ये मगर ख़्वाब की दोस्तों
प्यार जैसा ही कुछ बालपन में हुआ
भूल पाया न उसकी गली दोस्तों
भूल पाया न उसकी गली दोस्तों
है तमन्ना यही सब तलाशे मुझे
छोड़ जाऊँ मैं वो शायरी दोस्तों
छोड़ जाऊँ मैं वो शायरी दोस्तों
लफ़्ज़ "हम" जैसा सागर नही है कोई
भूल जाओ तेरी या मेरी दोस्तों
......................... विमलेन्दु सागर
भूल जाओ तेरी या मेरी दोस्तों
......................... विमलेन्दु सागर

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें