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शुक्रवार, 5 जून 2015

ग़ज़ल :- है जिस के पास माँ उसपे गज़ब का नूर होता है



है जिसके पास माँ उसपे गजब का नूर होता है
के बच्चा माँ की गोदी में नशे से चूर होता है

न जाने कौन सा मरहम है मेरी माँ के हाथों में
महज सहलाने भर से दर्द यूँ काफूर होता है

यूँ मेरी डायरी में तो है लाखों शायरी लेकिन
जिसे माँ गुनगुनाती है वही मशहूर होता है

है माँ के पाँव के नीचे सभी बच्चों की तक़दीरें
जो इससे दूर होता है ख़ुदा से दूर होता है

ख़ुदाया तुमने मुझको माँ दिया अब और क्या देगा
ये दौलत उससे ज्यादा है जो कोहिनूर होता है

मुझे जो चाहिए वो बिन कहे ही माँ समझती थी
है उसकी जो भी ख़्वाहिश वो मुझे मंज़ूर होता है

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