जो किस्मत में मेरी मुहब्बत लिखी है
यक़ीनन जहाँ से अदावत लिखी है
अलग बात है उसने आदाब की है
निगाहों में उसके शरारत लिखी है
कभी याद आने से पहले भी आओ
वो खत में अदा से शिकायत लिखी है
गले से लगी जब तो बिटिया ये बोली
कि पापा के तन पर हरारत लिखी है
अमीरों के हिस्से सियासी इनायत
गरीबों के सर बस क़यामत लिखी है
खुद अब तो बन्दों पे नज़ारे करम कर
बता भी दे कितनी मुसीबत लिखी है
जो पूछा किसी से है क्या मेरी किस्मत
वो बोला कि माथे पे ग़ुरबत लिखी है
करें बच्चे गलती मगर माँ के दिल में
सजा कि जगह पर रियायत लिखी है
पढ़ेंगे न जब तक कहानी ये बच्चे
तो जानेंगे क्या क्या नसीहत लिखी है
जवानों के माथे चमकते है जैसे
वतन कि हिफाज़त शहादत लिखी है
किया सच बयां जब तभी से यकीं था
की किस्मत में मेरे मुसीबत लिखी है
लिखा अपने दिल की तो सबने कहा ये
कि सागर ने सबकी हक़ीक़त लिखी है

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